Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जीवन

 

जीवन के रंग कई.. पड़ाव कई
गुजरती है ज़िन्दगी मोढ़ कई
कभी तेज, कभी मद्धम भई
पल ऐसा भी पल आता
जब अध्याय बदल जाता
जीवन से उस जीवन का
फासला पल में तय हो जाता
और मन अटका रह जाता
बीच में कहीं अपना क्षितिज तलाशना
इस पार से उस पार जाना
हमेशा आसान नहीं होता ठिकाना
कहीं विदाई का है तो अबसाद
कहीं पर स्वागत का शंखनाद
भावों का संसार वाक्यांशों से नहीं बनता...
यहाँ तो अश्रुधार है जो बह निकलता

सजन कुमार मुरारका

 

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