देख सोचता
हाइकु प्रयास में
सब लिखते
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जीवन पर
या अन्य बिषय मे
चाहत मेरी
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आप सुधारें
लिख पाऊं मैं जैसे
देवें सुझाव
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जीवन मृत्यु
रंग-मंच सजा के
हम पात्र है
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अच्छा वर्ताव
अनुशाषण दिखें
मिलता फल
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पाप या पुण्य
कर्म के अनुसार
विधी-विधान
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सुन्दर तन
कलुषित है मन
सूर्य-ग्रहण
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जाना निश्चित
प्रभु का गुण-गान
मुक्ती-उपाय
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समय जाये
करनी है तैयारी
अंतर्मन की
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रूप का गर्व
मन मे अहंकार
तय पतन
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ऊँची दुकान
सजावट सुन्दर
फीका सामान
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प्यार वेवफा
सौदेबाजी व्यापार
दिल का दगा
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दिल भी दिया
जान चाहिये देंगे
दिलदार है
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सत्य-अमर
झूठ का बोलबाला
सत्य निस्तेज
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सच या न्याय
धर्य भरी परीक्ष्या
सहना पढ़े
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झूठ जितता
सच हार जाता है
झूठा है भ्रम
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सच की राह
आसां नहीं मंजर
लगे रहना
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काहे की चिन्ता ?
चिन्ता चिता सामान
लो प्रभु नाम
:-सजन कुमार मुरारका
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जाती के नाम
आरक्षण का खेल
सत्ता चाहिए
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धरम में भेद
राजनेताओं का कम
बाँट के रखें
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निश्चुप लोग
दोषारोप करते
कैसे सुधरे
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सहना अच्छा
गलत को न सहे
अनन्या बढ़ें
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गति है प्राण
रुकना है मरण
चलते रहो
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सुख या दुःख
चक्रावत घूमते
सहे सो रहे
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जग दूषित
प्रकृति का विनाश
ध्वंस आह्वान
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हमारा टैक्स
फायदा न देशका
मजा नेता का
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इन्साफ रोता
पैसे की ताकत
अँधा कानून
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हाय किशन
अनाज पैदा कर
भूखा रहता
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देश का हल
नित्य नये घोटाले
हद हो गई
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सहते हम
अनन्याकरीयों को
अनन्या करें
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सिलिंडर छ
काफी भूखे देश मे
बनाने है क्या ?
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:- सजन कुमार मुरारका
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