जन्मदिन की देने मुबारकवाद,
लेकर आया साथ एक फरियाद,
धर्म की स्थापना को आये, और चले गये
अधर्मीयों का"बिष-बृक्ष" फैला कैसे बांह फैलाये
कंस मामाओं का राज,शकुनी सी हर चाल
देख तेरे सृजन का हाल, चुप कियों गोपाल
द्रोपदी का अब हर दिन चिर हरण
नारीयों को गोपी समझ हो रहा रमण
अर्जुन बने बृहनला,पांडव गये वनवास
महारथी सारे असहाय,देख रहें विनाश
दुष्टों के आतंक से धरा कांपे थर-थर
भ्रस्टाचार रूपी शिशुपाल का कब कटेगा सर
तुम चले गये,बजाकर बिरह-विशाद की तान
तुम ही थे हमारे रक्षक, तुम ही से अभिमान
हम तेरा जन्म-दिन मनायेंगे ले मन में विश्वास
मुबारक हो,पूनर-जन्म,फरियाद भरी आश
है देवकी-नंदन, यशोदा के नन्द लाल
कृपा करो,सृजन-कर्ता, अपनी सृष्टी को सम्भाल
हम तुम्हारे सहारे, तुम ही रखवारे
कब आओगे,राह देख रहें, आजाओ प्यारे
सच्चा अगर "गीता" का ज्ञान,रखना होगा मान
यदा-यदा धर्मस: ग्लाऩिर भवति करो परित्राण
सजन कुमार मुरारका
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