Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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माँ

 

सपनो मे , खयालो मे
किस्सों मे, यादो मे
देखा तुमने खुद को मुझ मे
अपने हर उन लम्हों मे
उन एक एक मुश्किल पलो मे
उतारा मुझे इस जहाँ मे

 

खुदा को लाख लाख शुक्र भेजें
आँखे खोल कर जो देखा तुझें
उसने भेजा तुम्हारी गोद में मुझे
भेंट दिया, तुम्हारा ही हिस्सा तुम्हे
एक नन्ही सी जान को प्राण सीचें
तुम्हारे दिल का हिस्सा मिला मुझे

 

एक नयी कहानी को जन्म दिया
तुम्हारे ही नैन नक्श है दिया
प्यार करना तुमने सिखाया
जीवन का अर्थ समझाया
दुनिया में आने से पहले बताया
सारा संसार तुमने दिखाया

 

परियों की कहानी सुनाये
राजा के किस्से बताये
खेल खेल में पाठ पढ़ाये
जीवन के सारे रंग दिखाये
अपने हाथो से खाना खिलाये
हरबार कितना प्यार जताये

 

सारे घर में पकड़म-पकड़ाइ
जब निवाला मुह मे न डाल पाइ
चोट मुझे लगने पर तेरी रुलाइ
खून निकलने पर यों पथ्थराइ
तुम्हारी आँखों ने वह बात बताइ
जो शब्दों में कभी उतर ना पाइ

 

क्या होती है माँ
आज तक यह समझ ना आया
रिश्ता बड़ा अजीब,गहरी दास्ताँ
पता नहीं भगवान ने कैसे बनाया
इतना दुःख दिया मैंने तुझे मेरी माँ
सब सहा, और ख़ामोशी से निभाया

 

मेरी सबसे अच्छी दोस्त बनी
मेरा मार्गदर्शन हो
हर डगर में सहारा तुम बनी
जीवन का हिस्सा हो
मेरी उदासी तेरा दर्द बनी
ममता से मजबूर हो

 

घड़ी दो घड़ी की बात नहीं यह
जीवन भर का साथ है यह
माँ, तुम्ही से सब कुछ है यह
नहीं तो जीवन ही व्यर्थ है यह
कहकर कैसे समझाये यह
हर इबादत से परे यह

 

 

सजन कुमार मुरारका

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