Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मैं तो मर गया-!!?!!

 

खुद को मै ढूढता हूँ -
मै खुद ही गुमशुदा हूँ .!
कल चाँद का सामना हुवा था,
आसमां मे नहीं,आगोश मे था ;
मैं उस नशे मे था,
अब उनके नशे मे हूँ :
खुद को मै ढूढता हूँ -
मै खुद ही गुमशुदा हूँ .!
दिन को तारे नज़र आते,
चाँद ही चाँद का ख्वाब देखते;
मैं कंहा खुद को ढूढता ?
दिल से दिल की थी मुलाकात,
चाँद के साये मे "चाँद" के साथ।
मुसाफ़िर सा दर-बदर भटकता,
मैं कंहा खुद को ढूढता;
कैसे खुद को आवाज देता-?
उनका साथ छोड देने की हिमाकत!
कैसे करता मज़बूर दिल हिम्मत-?
जिनकी खोज़ मे ज़माना निकले;
वह चले,जमीन चले,आसमां चले । -
जब मैं चलूँ तो साया साथ न दे,
साथ मिला था,साथ कैसे छोड़ दे!!
सितारों का कारवाँ आया तो क्या ?
अँधेरे मे चमकते जुगनू सा,
,,मैं तो मर गया,,,,।
चाँद की चांदनी मे खो गया ।

 

 

सजन कुमार मुरारका

 

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