Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेरी ज्योति मन्द पड़ गई समय की सौगत

 

मेरी ज्योति मन्द पड़ गई समय की सौगत
उम्मीदे कर्पुर बन कर उड़ गई खुसबू बिखेर
बालों में सफेदी झलकने लग गई उम्र के साथ
समझ नहीं पाया कियों रहा मैं अब तक बेखबर
न तो सरगोशियाँ और न ही अपने क्या का दर्प।
डरता हूँ कि आगे सन्नाटे का साम्राज्य लेगा असर
मुझे मौत का कोफ़्त नहीं, गुमनामी का है दर्द
कोई गिला नहीं, वेवजह इल्जाम नहीं किसी पर
मेरे पास जो बचा वक़्त,हल निकलना होगा जल्द
समय रुकता नहीं, दफ़्न करने वाले हो रहें हैं तैयार

 

 

:-सजन कुमार मुरारका

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