Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मुक्ती -उपचार

 

भाव अदृश्य
क्रिया सदृश्य
तल्लीन अगाध
आद्यन्त निर्बाध
क्रूर’ अन्त पास
दूर फिर भी प्रयास’
समक्ष प्रतिवेदन
असफल अनुलेपन
अनर्थ के हैं पास
संताप, कलेश
अवस्था में अवशेष
निवारण करो विचार
त्वरित करो उपचार,
भगवान ही करेंगे मुक्त
असंभव नहीं, यह व्यक्त
अवनत अवलोकन विचार
उन्नत करो मुक्ती के द्वार

 

 

सजन कुमार मुरारका

 

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