Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

ओ मेरे दिल-ऐ-नादान

 

ओ मेरे दिल-ऐ-नादान
चाहत है गुलाब की
पर काँटों से भरा है दामन |


ओ मेरे दिल-ऐ-अरमान
ओंस भीगे कमल की
हुवा हासिल कीचढ़ का फरमान |


ओ मेरे दिल-ऐ-गुमान
रूप की तुलना चाँद की
धब्बों भरा सुन्दरता की पहचान !


ओ मेरे दिल-ऐ-इमान
इश्वर-अल्लाह सा मान
नफरत- है फितरत, कैसे महेरवान ?


ओ मेरे दिल-ऐ-बेजुवान
स्वर-लगा बांसुरी के सुर सा
अनबोल हुवे अल्फाज, निश्चुप है अभिमान |

 

:-सजन कुमार मुरारका

 



Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ