Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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पिताजी ने कहा

 

हमेशा सच बोलना,
!!?!!


झूट को सच बनाकर;
अब झूट सच ही लगता !
कोरा सच हज़म नहीं होता,
और मैं सच ही बोलता हूँ |

 

 

पिताजी ने कहा
हमेशा ईमानदार रहना,
!!?!!


हर ज़गह है बकरार;
बेईमानी की ईमानदारी !
इमान से पेट नहीं भरता ,
स्वार्थ के प्रति मैं ईमानदार हूँ |

 

पिताजी ने कहा
हमेशा न्याय का साथ देना,
!!?!!


अन्याय से चले सरकार;
अन्यायीयों का दामन थामे !
न्याय भरे बज़ार नगां होता ,
अन्याय सहकर न्याय करता हूँ |

 


पिताजी ने कहा
इन बातों से सुखी रहोगे देखना,
!!?!!


पिताजी की हर बात हरबार;
क्या जरुरी है सही होना ?
पर सुखी होने के लिये,
मैं उसे किसी भी तरह निभाता हूँ|

 

 

(पिता बोले थे-नामक हरीश करमचंदानीजी की कविता से प्रभावित)

 


सजन कुमार मुरारका

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