Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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प्यार के जज्वात !

 

खुदाई ना कर सके जो,
उन्होंने करके दिखा दिया....
चाहनेवाले को ठुकरा दिया !
रखा हमने पलकों पे,
हमे ही दर किनार कर-
गाफिल बना दिया,
ज़िन्दगी की आसन राह को,
मंजिल बना दिया...|
मोहब्बत के दिवाना हुए...
पर,बेवफा ने दिल को,
खेल समझ तोड़ दिया |
कतरा-कतरा मिला कहीं,
अनजान सा रुख किया;
मैं खुद की तलाश मे,
नासमझ,कोशिश करता हूँ रोज़,
ख़ुद को बहलाने की...!
दिल कागज़ मेरा,बख़ूबी जानता,
तुम्हारा नाम इस पे लिख दिया,
मिट नहीं सकता यह लिखा;
कम्बख़त,कोशिश बहुत की-
नाकाम,उफ़,मिटेगा तभी,
जायेगें हम दुनिया से जभी |
न पिकर नशे मे,
खुद तुम्हारे नशे ने-
मुझे उजाड़ दिया |
वसंत मे पतझड सी बगिया,
दिप जला,परवाने आए,
शमा ने उसे जला दिया|
जानता था मैं जलूँगा,
फिर भी न छोड़ा दामन,
शायर हुवा मैं----!
शायरी मे गम डुबो दिया|
जब छोड़ दें दुनिया,
चले आना, इस आँगन,
हमारी रुहू तुम्हे...,
पुकारती नज़र आयेगी!
हमने तुम्हे ही खुदा बना दिया,|

 

 

सजन कुमार मुरारका

 

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