Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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प्यार में कंहा हैं फर्क

 
तब तुम्हारे साथ का नशा था अब तुम्हारे दीदार का नशा है तब तुम्हारे प्यार में मशगुल था अब तुम्हारे प्यार के लिये मशगुल हैं                                                 तब हमने तुम्हे चाँद सा देखा था                                                 अब चाँद में सिर्फ तुम्हे देखते हैं                                                 तब तुम्हारी अदायों पर मरता था                                                 अब तुम्हारी अनदेखी पर मरते हैं तब प्यार का इजहार करने जीता था अब प्यार के इजहार के लिये जीते हैं तब वक़्त का गुजरना ना गंवार था अब वक़्त का ना गुजरना ना गंवार हैं                                                 तब मुलाकात को तरसता था                                                 अब भी मुलाकात को तरसते हैं                                                 तब तुम्हारे चाहत में दीवाना था                                                 अब तुम्हारे चाहत में दीवाना हैं तब रात की तन्हाई में याद करता था अब रात की तन्हाई में याद करते हैं तब तेरी यादें  मेरे जीने का सहारा था अब तेरी यादें  मेरे जीने का सहारा हैं                                                  तब और अब प्यार तो प्यार ही था                                                  अब और तब प्यार तो प्यार ही हैं                                                  तब तुम मेरी थी, मैं तुम्हारा था                                                  अब तुम तुम्हारी, पर मेरा तुम्हारा हैं
:-सजन कुमार मुरारका

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