Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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रोना है

 

मुझे रोने दो सुख से दुःख मे, दुःख से सुख में
हर एक जज्वात को रहने दो, साथ दिल में
मजा जो हंसने में, मज़ा नहीं उतना रोने में
फिर भी दोनों के लिये घर बनाया दिल में .
इतनी बड़ी दुनिया,छोटे से दिल में समाई
छोटे से दिल में दर्द के समुन्दर है कई
मान-अपमान के अभिमान से डर नहीं
गोते लगाने का उन्ही में सुख है सही

 

 

सजन कुमार मुरारका

 

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