Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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समस्या मे है समाधान

 

गतिशीलता है जीवन का आभास !

समस्या के अस्तित्व के साथ बास;

चलनेवाले से ताप का होत विकास,

ताप रहित जीवन नहीं होता विश्वास!

जीवन-ताप को माने समस्या समान;

शक्ति करती नव निर्माण का समाधान ।

कभी बन जाती विकट,ध्वंस का सामान,

कभी प्रसूत करे नित नये सूत्र बिज्ञान !

प्रेरणस्रोत मूलरूप से होत अन्त-सलिला ,

दोष दूसरों को देते रहते,अन्दर का है रैला;

शरीर-कर्म का सद्पयोग न कोई झमेला,

ताप-शक्ति सहयोग स चले सारा खेला !

सटीक निर्णय की त्वरित शक्ति चाहिये,

समस्या से ताप समाधान की शक्ति बनाइये,

होगा समस्या का निदान निश्चित पाइये;

अपेक्षित ताप-शक्ति समन्वय होने चाहिये ।

जागृति मुख्य भाग है सम्पूर्ण जीवन का !

मन-वचन-कर्म सहज़ आधार परखने का,

स्वप्नावस्था में देखा सत्य होता भ्रम का;

जाग्रति स्वप्नको आभाष कहे मिथ्या का ।

समस्या जीवित अवस्था मे दीर्घ स्वप्न होता,

मन की सुप्त अवस्था से यथार्थ ही प्रतीत होता;

अवचेतन मदारी बन ,चेतन को नाच नाचता,

जिन्दगी को खिलाता खेल,स्वप्नवस्था मे रहता ।

यह प्रमाणिक है विफलता से जों भी घबराये,

प्रयास न कर पूरी तरह हताश,निश्चेष्ट हो जाये!

वास्तव मे माली खुद ही देत है खेत जलाये,

बीज़ बोये, सीचें,समय लगे, फ़सल उपजाये।

सुषुप्त-चेतना मे रहे अहम, अविद्या- विद्यमान-।

समाधिमे वासना सुप्त रहे,लुप्त होने का नहीं प्रमान;

चेतना से चिंतन करे, चैतन्य पूर्ण हो, मिटे अज्ञान!

अनुभव समस्या नष्ट करे,चिंतन देता समाधान !!

 

 

**सजन कुमार मुरारका **

 

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