दिल मे बस जाता कोई जब
नशा इश्क का चढ़ता जब
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
पाँव तब ज़मीन पर नहीं पड़ते
************************
दिन गुज़ारते उम्मीद से ,रातें गुज़रेगी ख्यालों मे
रातें नहीं गुजरती ख्यालों से,इंतज़ार के लम्हों मे
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
उढ़ जाने को दिल चाहता पंख लगा के
*****************************
चंपा -चमेली सी ख़ुश्बू से रातों को महकाये
मय -भरी आँख से ,मिलन का संदेश जताये
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सम्भल ले सपेरा, नागीन कंही डसं न जाये
****************************
उमड़ पड़ेअम्बर धरती की प्यास बुझाने
माटी भी महक उठी मिलन स्पर्श बताने
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
आया सावन झुमके ;आया सावन झुमके
*********************************
भीख के मिले पकवानों से अच्छी मेहनत की रोटी
वोटों की भीख मांग,फीट हो गई नेताजी की गोटी
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अब पछतायें क्या हो चिड़ियाँ ज़ब चुग गई खेत
************************************
पत्थरों को तराश के बनती हसीन मूरत
दिल को तराश कर सजाई थी तेरी सूरत
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बेवफ़ाई मे खप गईं यादें,जैसे खड़ा ताज़महल
************************************
निर्वाचन हमारे देश मे नाग-पंचमी का त्योहार है
दूध(वोट)हमको इन नागों(नेताओं)को पिलाना होगा
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
जान-माल की हिफाज़त ख़ुद को करनी होती है
*********************************
सजन कुमार मुरारका"त्रिशूल"......(द्वितीय चरण)..!!!
क़ुदरत का बड़ा अज़ुबा,हर इन्सान को जन्मती औरत
इन्सान का बड़ा अज़ुबा,इन्सानों के हाथ मरती औरत
............................................................
कुदरत भी अचरज़ मे- इन्सान बनाया,बन गया शैतान
***********************************
खंज़र से लगा ज़ख्म फिर भी भर जाता
ज़ुबां से लगा ज़ख़्म कभी भर नहीं पाता
.............................................................
बोलो जब भी, बोलो मीठा बोल
***********************************
मुल्क की हिफाज़त थी जिन के नाम
उन्हों ने ही किया इसका काम तमाम
..............................................................
चोर के हाथों मे दिया चाबी थमाय
***********************************
ख़ुशी के लम्हों मे आंसू निकल आते
ग़म की बात ही क्या, आसूं तो बहते
..............................................................
आसुंओं पर न जाओ,इनकी अलग सी दास्तां
**********************************
बड़ी मुद्द्त से चाह थी कोई दिलरुबा मिले
मिले भी तो सनम,बड़े ही वह बेवफा मिले
..............................................................
प्यार को असर अब दिल मे नासूर सा बसता
************************************
पेट की भूख सब से बड़ी बीमारी और लाचारी
धर्म,इमान कुच्छ भी नहीं बचे,पड़े सब से भारी
...............................................................
भूखे पेट भजन ना होये नन्दलाला
************************************
आजका मज़नू,भटकता हुआ भंवरा, कुच्छ आवारा,
कली-कली की चाहत,पर काँटों से उलझता बेचारा
.................................................................
परवाने जल जाते यों ही शमा के खातीर
**************************************
महबूब को पाकर, ख़ुशी मे ज़िन्दा थे बेमिसाल
उनको खोकर भी ज़िन्दा हैं लाश सारीका हाल
................................................................
उनको पाने को जीते थे,अब भी पाने को जीते हैं
*************************************
सजन कुमार मुरारका त्रिशूल ....(तृतीय चरण ),,,!!!
हुश्न के ज़लवे पर इतना न तुम इतराव
चमक दो दिन की,वक़्त रहते संभल जाव
...............................................
आईना हुश्ने-जिस्म की खुबशुरती बयां करता है
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
मेरे जज़्बात की कद्र कंहा,हर रोज़ यों ही दम तोड़ते
परवाह भला उन्हें क्यों, वह तो मोहब्बत का कारोबार करते ..........................................................
शायर ही ना होते ग़र इश्क मे बेवफाई का हुनर ना होता
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
चोट अब भी लगती पर दर्द होता नहीं
चेतना तो मर गई पर जिस्म मारा नहीं
...............................................................
हुक्मरानों की सियासत ने हमें बाँट रखा है
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
रास्ते का पत्थर,मन्दिर पहुंचा,प्रभु का दर्जा मिला
ठोकर मारने वाले ,आते जाते सज़दा करते,अन्ध-बिस्वास का भला
..........................................................................
धर्म के नित नये ठेकेदार ;लूट रहें दुनिया सारी
XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX
किसी के दर्द को बांटना हो तो,दिल मे उतर कर देखो
भर के बांहों मे,उसकी आँखों मे खुद की औकात देखो
..........................................................................
दर्द की ग़ज़ल उम्दा होती,दिल की लगन जब लगती
XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX
कुछ सोच मे बदलाव चाहिये इन्कलाब के लिये
बर्फ बने दिलों मे ज्वालामुखी सा रिसाव चाहिये
..............................................................
मौनम सन्मति लक्षणम,अत: जो सहे वह मरे
XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX
अब रिश्तों का मुल्यायन होता स्वार्थ के बाज़ार मे
बिचित्र गणित,सास-श्वशुर बदल जाते मात-पिता मे
.................................................................
तरक्की के दौर मे प्यार भी व्यापार नज़र आता है
XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX
सजन कुमार मुरारका
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY