Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

वा रे इंसाफ!

 

दामिनी गई
सवाल छोड़ गई
सुरक्षा नहीं

 

इन्साफ मौन
नारी का निर्यातन
उपाय है क्या

 

दोषी छुटेगें
क्रम चलता रहे
इन्साफ कंहा

 

प्रतिवाद के
सुर पंहुचाना है
हर मन मे

 

विवाद करें
मर्यादा के अन्दर
हिंसा ना करें

 

कोई भी मरे
दू:खदायी बात
कस्ट देता है

 

 

सजन कुमार मुरारका

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ