गज़ब लोगों की, अज़ब सरकार;
आमदनी कम,महंगाई की मार;
सस्ते होगें तब उनके सिलेंडर !
सालाना आमदनी हो लाख के अन्दर।
खाली होगी जेबें,मिलगें सस्ते सिलेंडर,
हालात ऐसे,जैसे सांप के मुहं छछुंदर;
सोच समझकर तरकीब बड़ी सुन्दर,
ग़रीब कंहा,वह जो लेगा "नो" सिलिंडर!
चतुराई से उठाये कदम,गरीबी खत्म ;
फिर भी क्यों मचाते शोर हरदम!
औकात नहीं खरीदने की हैं बेशर्म,
तब भी लगे उन्हें "छ" सिलिंडर कम ।
भूखे नगें लोग "छ"-"नो" के चक्कर मे ,
बदनाम करते सरकार को बेकार मे !
गरीब मरे तो कमी आये गरीबी मे ;
महंगा खरीदें,शक कंहा धनी कहलाने मे !
सजन कुमार मुरारका
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