Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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विकलांगता पर

 

पोलियोग्रस्त बच्चा का एक सवाल ;

समाज का अशिष्ट व्यवहार या हाल,

दुखता या चुनौती से भरा रहे ख्याल,

बचपन से कस्ट मे गुज़रा हालचाल !

समाज का सलीका बुरा; था व्यवहार ;

असामान्य नज़रियों की है भरमार ,

औपचारिकता अशिष्ट, नहीं शिष्टाचार!

समझते असहाय, दुर्बल और लाचार,

नहीं कोई सहानुभूति,नहीं कुछ आदाब,

पता नहीं चलता क्यों है ऐसा स्वभाब ?

विकलांगता से नहीं मुझे कोई लगाव !

बीमारी की देन,ज़िन्दगी भर का दबाब;

जनमानस दया या सहानुभूति जताता,

शारीरिक असुबिधायों को भाग्य बताता!

सरकार का रबैया ही नहीं समझ पाता।

परिकल्पना से अंजाम है वादों का पोथा !

लोग की नज़र मुझ पर सिर्फ उपेक्ष्या की,

किसी मे प्रत्यक्ष दया-पूर्ण-सहानुभूति की,

प्रश्नकर्ताओं का प्रश्नमे है अशिष्ठता मज़े की;

काफ़ी अफ़सोस तुम्हे जरूरत है बैसाखि"कि!

विकलांगता,स्वस्थ शरीर की कोई दूर्घटना है,

जीवन मे कब,क्यों,किसके साथ कैसे होती है,

इस दर्द को सिर्फ़ चोट सहनेवाला ही जानता है!

इसलिये "संवेदनहीनता" हमसभी मे व्याप्त है |

 

 

सजन कुमार मुरारका

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