हमने कहा था कठिन है वो आसान समझ बैठे।
आज दौलत को ही अपना भगवान समझ बैठे।
जरा सी देर क्या हो गयी कर्ज को चुकाने में ।
बस इतने में ही वो लोग हमें बेईमान समझ बैठे।
जिस दिन उसने पहले पायदान पर कदम रखा ।
हमने कहा उजाला हुआ वो विहान समझ बैठे ।
अपना काम निकालने कुछ लोग हमारे घर आये ।
हमनें कहा ये चापलूस हैं वो मेहमान समझ बैठे।
दो चार पत्ते क्या हिल गए उसने घर हटा लिया।
हमनें कहा ये हवा है वो तूफान समझ बैठे।
कवि परिचय
कवि-शैलेन्द्र दीपक पटेल
पिता-शत्रोहन लाल
माता-अशोक कुमारी, सुन्दरी देवी
पत्नी- आकांक्षा वर्मा
जन्म- 12 जून 1991
मो - 09956654690
जन्म स्थान- लखनऊ से कानपुर जाने वाली सड़क पर हिन्दू खेड़ा पहाड़पुर बंथरा लखनऊ उत्तर प्रदेश भारत अपने गांव से जूनियर फिर मैट्रिक की परीक्षा उतीर्ण की एल आर यस यस यस इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद कानपुर विश्वविद्यालय से बी ए फिर एम ए फिर B.Ed की परीक्षा उत्तीर्ण की ।
शिक्षा -M A Bed
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