तुझसे और तेरी सृष्टि से, बहुत प्यार करता हूं,
मेरे स्वामी! तुझको दिलसे, नमस्कार करता हूं.
धरती से लेकर अंबर तक, सबकुछ ही सुंदर है,
तेरा सबकुछ ही पावन है, सबकुछ ही मंदिर है,
क्योंकि सबमें तू रहता है, एतबार करता हूं.
तुझको चाहूं, तुझको पूजूं, बस इतना सा वर दो,
सृष्टि को सम्मान से देखूं, बस इतना सा वर दो,
अपने अंतरतम से तुझको, स्वीकार करता हूं.
स्वामी! मेरी किसी भूल पर, मुझको छोड न देना,
मुझसे किसी जनम भी तुम, रिश्ता तोड न लेना,
तुमतो जानो कि मैं तुमसे, कितना प्यार करता हूं.
Ashok Kumar Vashist
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